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महात्मा गांधी के उद्धरण

रागादिक विकारों के बिना अब्रह्मचर्य अर्थात इंद्रियपरायणता नहीं हो सकती, और विकारी मनुष्य सत्य या अहिंसा का पूर्ण पालन कर नहीं सकता; यह कि आध्यात्मिक पूर्णता प्राप्त नहीं कर सकता।