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मैनेजर पांडेय के उद्धरण

राधा किसी एक कवि की कल्पना से उत्पन्न नारी चरित्र नहीं है। राधा का व्यक्तित्व भारतीय संस्कृति की विकास-प्रक्रिया में अनेक चिन्मय धाराओं के संघात का परिणाम है।