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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

पुरुष का व्यवहार मोटे रूप में सुस्पष्ट हो यही अच्छा है, लेकिन स्त्रियों के व्यवहार में अनेक आवरण-आभास-इंगित रहने चाहिए।

अनुवाद : अमृत राय