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गुरु नानक के उद्धरण

पुण्य या पाप केवल कथनमात्र नहीं हैं; मात्र कहने की बातें नहीं हैं, वास्तव में जैसे कर्म तू करेगा वैसे ही संस्कार अपने अंदर अंकुरित करके उसका प्रभाव अपने साथ ले जाएगा। जो कुछ तुम बोओगे, वही फल स्वयं ही खाओगे।