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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

प्रत्येक साहित्य मूलतः और सारतः, आत्मचरित्रात्मक है; भले ही बाहर-बाहर से वह चाहे जितना वस्तुवादी क्यों न दिखाई दे।