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सर्वेपल्लि राधाकृष्णन के उद्धरण

परंपरा आत्मिक जीवन को पंगु कर देने वाला और हमसे एक सदा के लिए गए गुज़रे युग में लोटने की अपेझा करने वाला कोई कड़ा और कठोर साँचा नहीं है। वह अतीत की स्मृति नहीं है, बल्कि जीवंत आत्मा का सतत आवास है। वह आत्मिक जीवन की जीवंत धारा है।

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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