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नलिनीबाला देवी के उद्धरण

ओ मेरे स्नेही देश! तुम्हारी दुखी कुटिया में स्वर्ग की शांति है। ऐसी प्रीति, सहज प्राणस्पर्शी भाषा और सेवा का महिमामय त्याग, मैं कहाँ पाऊँगी?