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प्रेमचंद के उद्धरण

नीतिज्ञ के लिए अपना लक्ष्य ही सब कुछ है, आत्मा का उसके सामने कुछ मूल्य नहीं। गौरवसंपन्न प्राणियों के लिए अपना चरित्रबल ही सर्वप्रधान है।