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रामधारी सिंह दिनकर के उद्धरण

निःसंग मनीषी का अकेलापन उस व्यक्ति का अकेलापन है जिसे ईश्वर में विश्वास नहीं है। धर्म में जिसकी आस्था नहीं है और सभ्यता के सभी मूल्यों को जो शंका की दृष्टि से देखता है।