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प्रेमचंद के उद्धरण

नारी परीक्षा नहीं चाहती, प्रेम चाहती है। परीक्षा गुणों को अवगुण, सुंदर को असुंदर बनाने वाली चीज़ है, प्रेम अवगुणों को गुण बनाता है, असुंदर को सुंदर।