Font by Mehr Nastaliq Web

जयशंकर प्रसाद के उद्धरण

नारी हृदय, जिसके मध्य-बिंदु से हट कर, शास्त्र का एक मंत्र, कील की तरह गड़ गया है और उसे अपने सरल प्रवर्तन-चक्र में घूमने से रोक रहा है।