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बानू मुश्ताक़ के उद्धरण

मैं अपने समाज में महिलाओं और पुरुषों के साथ होने वाले अन्याय के बारे में लिखती हूँ। मुझे महिलाओं की कहानियाँ लिखते रहने का कर्तव्य महसूस होता है।

अनुवाद : सरिता शर्मा