ज्याँ-पाॅल सार्त्र के उद्धरण

मैं अपने आप का प्रतिद्वंदी हूँ। खाना, सोना, सोना, खाना। धीरे-धीरे, धीरे-धीरे अस्तित्व में होना, जैसे ये वृक्ष हैं, जैसे पानी का यह छोटा सा तालाब, जैसे सड़क पर एक लाल बेंच।
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