मुझे प्रधानमंत्रियों से द्वेष नहीं है, लेकिन तजुरबे से मैंने देखा है कि वे सच्चे देशाभिमानी नहीं कहे जा सकते। जिसे हम घूस कहते हैं, वह घूस वे खुल्लम-खुल्ला नहीं लेते-देते, इसलिए भले ही वे ईमानदार कहे जाएँ, लेकिन उनके पास वसीला काम कर सकता है। वे दूसरों से काम निकालने के लिए उपाधि वगैरा की घूस बहुत देते हैं।