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श्यामसुंदर दास के उद्धरण

लौकिक आनंद इसी लोक में—हमारे इसी स्थूल शरीर और इंद्रियों के लोक में—मिलता है, पर अलौकिक आनंद सूक्ष्म मानस-लोक में और कभी-कभी उससे भी ऊपर उठने पर प्राप्त होता है।