लंबे वाक्यों के पीछे एक कहानी है। जब मैंने लिखने की शुरुआत की, तो मुझे एकांत नहीं मिल पाता था। मैं हमेशा परिवार व भीड़ के बीच रहता था, अपने मन में लिखता रहता था। मैं आरंभ में एक वाक्य बनाता, फिर उस वाक्य में जोड़ता जाता—वह सबकुछ मैं याद रखता था। जब भी मौक़ा मिलता, मैं उन्हें लिखने बैठ जाता। इस तरह मेरी स्मृति से एक लंबा वाक्य निकल कर आ जाता। इस तरह मेरे वाक्यों की लंबाई बढ़ती गई।