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अश्वघोष के उद्धरण

क्षमा ही जिसकी जटा है, धैर्य ही जिसका गहरा मूल है, चरित्र ही जिसके फूल हैं, स्मृति व बुद्धि ही जिसकी शाखाएँ हैं, और जो धर्म रूपी फल देता है, ऐसा यह वर्धमान ज्ञान-वृक्ष उन्मूलन योग्य नहीं है।