श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

किताब लिखना दिमाग़ के लिए कठोर और शरीर के लिए एक कष्टकर कार्य है। इससे तंबाकू की लत पड़ जाती है, काफ़ीन और डेक्सेड्रीन का ज़रूरत से ज़्यादा सहारा लेना पड़ता है, बवासीर, बदहज़मी, अनवरत दुश्चिंता और नामर्दी पैदा होती है।
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