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वेदव्यास के उद्धरण

किसी कार्य को अन्य प्रकार से सोचा जाता है, किंतु वह दैववश और ही प्रकार का हो जाता है। अहो! निश्चय ही देव प्रबल और काल दुर्लघ्य है।