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वेदव्यास के उद्धरण

केवल अपनी बुद्धि को प्रमाण मानने वाला उद्दंड मानव श्रेष्ठों तथा उत्तम धर्म की अवहेलना करता है, क्योंकि वह मूढ़ इंद्रियप्रीति से संबद्ध, लोक प्रत्यक्ष जगत की सत्ता स्वीकार करता है तथा अप्रत्यक्ष के विषय में उसकी बुद्धि मोह में पड़ जाती है।।

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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