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वेदव्यास के उद्धरण

केवल त्याग से, मूढ़ता से और याचना से किसी को भिक्षु नहीं समझना चाहिए। जो सरल भाव से स्वार्थ का त्याग करता है और सुख में आसक्त नहीं होता, उसे ही भिक्षु समझना चाहिए।

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