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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

कविता का विषय चाहे जो भी हो, यहाँ तक कि वह यदि एक दैनंदिन तुच्छ घटना हो तो भी, उस विषय को शब्द-चित्र में उतारकर रखना उसका उद्देश्य कभी नहीं।

अनुवाद : चंद्रकिरण राठी