कर्त्तव्य, दया, तथा प्रेम से प्रेरित होकर किए कार्य उन कार्यों से हज़ार गुना श्रेष्ठ होते हैं जो केवल धन के लिए किए जाते हैं। पहली प्रकार के कार्य आत्म-त्याग और साहस की प्रेरणा देते हैं, जबकि दूसरी प्रकार के कार्य धन प्राप्ति के साथ ही समाप्त हो जाते हैं।