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कुबेरनाथ राय के उद्धरण

कल्पना को कहीं न कहीं यथार्थ से जुड़ना चाहिए। कल्पना को रचने और समझने के लिए यथार्थ की भाषा से कहीं न कहीं जुड़ना होगा।