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वेदव्यास के उद्धरण

जो सब प्राणियों की रात्रि होती है, उसमें संयमी मनुष्य जागता है और जिस अवस्था में सब प्राणी जागते हैं, वह तत्त्वज्ञ मुनि की रात्रि होती है।