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गुरु नानक के उद्धरण

जो नाम-जाप व सत्कर्म रूपी जल में स्नान करते हैं और सत्य वचन रूपी सुगंधि को तन पर लगाते हैं, उनका ही मुँह उज्ज्वल होता है और अंत लाखों प्राप्तियों में एक नाम की प्राप्ति ही श्रेष्ठ है।