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महमूद दरवेश के उद्धरण

जो कवि लिखने बैठता है और यह नहीं महसूस करता कि वह पूरी तरह शून्य है, उसका विकास नहीं होगा और उसकी पहचान नहीं बनेगी।

अनुवाद : पंकज बिष्ट

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