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गुरु नानक के उद्धरण

जो जीव उस अविनाशी प्रभु को सिमरन करते हैं, वे सभी उसका रूप हैं। परंतु जो जन्म-मरण के चक्कर में पड़े हुए हैं, वे सभी बिल्कुल कच्चे हैं।