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भवभूति के उद्धरण

जो अनुराग बिना किसी निमित्त के होता है, उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हो सकती, वह स्नेहात्मक तंतु प्राणियों के हृदयों को सी देता है।

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