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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

जीवन की प्रत्येक मंज़िल में हम मृत्यु से लड़ते हुए आगे बढ़ते हैं, यौवन के दिन बीत जाने पर भी हम यौवन को खींच-तानकर बनाए रखना चाहते हैं।

अनुवाद : विश्वनाथ नरवणे