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गुरु नानक के उद्धरण

जिस प्रकार नदीन खेती में उग जाते हैं और कृषक उन्हें उखाड़ फेंकता है, इसी प्रकार हे मानव! विषय-विकार रूपी नदीनों को, हृदय में पनप रही खेती में से उखाड़कर फेंक दो और इन विकारों को त्यागकर मन की एकाग्रता से प्रभु का स्मरण करो।