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संत तुकाराम के उद्धरण

जिस मनुष्य के हाथ में क्षमारूपी शस्त्र हो, उसका दुष्ट क्या बिगाड़ सकता है? यदि दावाग्नि में तृण न पड़े, तो वह स्वयं ही बुझ जाती है।