राजेंद्र माथुर के उद्धरण
जाति-प्रथा भारत के बीजों पर अंकित है। उसे बदलना हो, तो बीज-सुधार का एक लंबा कार्यक्रम हाथ में लेना होगा। विकासवाद का कहना है कि कोई भी जीव-जंतु दो तरीक़ों से बदलता है या तो अनुकूलन से या उत्परिवर्तन से। अनुकूलन की प्रक्रिया लंबी होती है।
-
संबंधित विषय : जातिवाद