Font by Mehr Nastaliq Web

त्रिलोचन के उद्धरण

जनभाषा पर कुछ भी कहने के पहले यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वह बहता नीर है। केवल सामाजिक संबंधों से ही उसे जाना और पहचाना जा सकता है और विवेकपूर्ण संतुलन से ही उसे काव्य का समर्थ माध्यम बनाया जा सकता है।