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गुरु नानक के उद्धरण

जैसे घड़े आदि बर्तनों में ही बँधा हुआ पानी; रखा हुआ एक जगह टिका रह सकता है, वैसे ही गुरु द्वारा दिए गए ज्ञान, उपदेश में बँधा हुआ ही मन, एक जगह टिका रह सकता है, अर्थात विकारों की तरफ़ नहीं दौड़ता।