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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

जैसे बुद्धिमत्ता एक वैल्यू है, वैसे ही बेवकूफ़ी भी अपने-आपमें एक वैल्यू है। बेवकूफ़ की बात चाहे तुम काट दो, चाहे मान लो, उससे उसका न कुछ बनता है, न बिगड़ता है। वह बेवकूफ़ है बेवकूफ़ रहता है।