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जयशंकर प्रसाद के उद्धरण

जब स्वजन लोग अपने शील-शिष्टाचार का पालन करें आत्मसमर्पण, सहानुभूति, सत्पथ का अवलम्बन करें, तो दुर्दिन का साहस नहीं कि उस कुटुंब की ओर आँख उठाकर देखे।