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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

जब किसी काव्यार्थ की उपलब्धि हमारे लिए गहरी और उज्ज्वल होती है; तब उसके हर शब्द की सार्थकता, उस समय भाव के माधुर्य के कारण हमारे लिए विशेष सुंदर हो उठती है।

अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी