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यू. आर. अनंतमूर्ति के उद्धरण

जब भाषा अपने निजीपन को खोकर भी; लक्ष्य-भाषा-संस्कृति में अपने स्वभाव-गुणों को क़ायम रखती है, तभी अनुवाद अच्छा कहलाएगा।

अनुवाद : नंदकुमार हेगड़े