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ओल्गा तोकार्चुक के उद्धरण

जानते हो, कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है जैसे हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जिसे हमने ख़ुद के लिए गढ़ा है।

अनुवाद : गार्गी मिश्र

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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