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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

इस देश में जाति-प्रथा को ख़त्म करने की यही एक सीधी-तरकीब है। जाति से उसका नाम छीनकर उसे किसी आदमी का नाम बना देने से जाति के पास और कुछ नहीं रह जाता है। वह अपने-आप ख़त्म हो जाती है।