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विष्णु खरे के उद्धरण

इस बात से किसी को असहमति नहीं हो सकती कि नयापन और अलगपन अपने-आपमें कोई मूल्य नहीं है। वह फ़ैशन भी हो सकता है और विदूषकता भी।