जयशंकर प्रसाद के उद्धरण

हम लोगों के पश्चिमी जीवन का यह संस्कार है कि व्यक्ति को स्वावलंब पर खड़े होना चाहिए। तुम्हारे भारतीय हृदय में, जो सहायता की कौटुंबिक कोमलता में पला है, परस्पर सहानुभूति की बड़ी आशाएँ, परंपरागत संस्कृति के कारण, बलवती रहती हैं।
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