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लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई के उद्धरण

हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि सच यथार्थ के पीछे छिपी कोई चीज नहीं है, जैसे कि बहते हुए पानी में एक खास रोचकता और सुंदरता होती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ये प्रवाह ही सच्चाई है।

अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र