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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

हमारे यहाँ आज भी शास्त्र सर्वोपरि है और जाति-प्रथा मिटाने की सारी कोशिशें अगर फ़रेब नहीं हैं तो रोमांटिक कार्रवाइयाँ हैं।