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राहुल सांकृत्यायन के उद्धरण

हमारे घुमक्कड़ असंस्कृत देश में संस्कृति का संदेश लेकर गए, किंतु इसलिए नहीं कि जाकर उस देश को प्रताड़ित करें। वह उसे भी अपने जैसा संस्कृत बनाने के लिए गए। कोई देश अपने को हीन न समझे, इसी का ध्यान रखते हुए उन्होंने अपने ज्ञान-विज्ञान को उसकी भाषा की पोशाक पहनाई, अपनी कला को उसके वातावरण का रूप दिया।

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