Font by Mehr Nastaliq Web

प्रेमचंद के उद्धरण

ग़रीबों में अगर ईर्ष्या और वैर है तो स्वार्थ के लिए या पेट के लिए। ऐसी ईर्ष्या और वंर को मैं क्षम्य समझता हूँ। हमारे मुँह की रोटी कोई छीन ले तो उसके गले में उँगली डालकर निकालना हमारा धर्म हो जाता है। अगर हम छोड़ दें, तो देवता हैं। बड़े आदमियों की ईर्ष्या और वैर केवल आनंद के लिए हैं।