कृष्ण कुमार के उद्धरण
'गंज' अब कई जगहों से जुड़ चुका है पर उसका अनुभूत अर्थ 'गंजिंग' की क्रिया से ही उभरता है जो इतिहासकार शाहिद अमीन के अनुसार लखनऊ के हजरतजंग में इधर-उधर नज़र डालते हुए दुकानों के बीच तफ़री करने का नाम था।
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