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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

फ़िलासफ़ी बघारना प्रत्येक कवि और कथाकार के लिए अपने-आपमें एक ‘वैल्यू’ है, क्योंकि मैं कथाकार हूँ, क्योंकि ‘सत्य’, ‘अस्तित्व’ आदि की तरह ‘गुटबंदी’ जैसे एक महत्त्वपूर्ण शब्द का ज़िक्र आ चुका है, इसीलिए सोलह पृष्ठ के लिए तो नहीं, पर एक-दो पृष्ठ के लिए अपनी कहानी रोककर मैं भी पाठकों से कहना चाहूँगा कि सुनो-सुनो हे भाइयो, वास्तव में तो मैं एक फ़िलासफ़र हूँ, पर बचपन के कुसंग के कारण...।