Font by Mehr Nastaliq Web

अवनींद्रनाथ ठाकुर के उद्धरण

एक सभ्यता के एक भाव की परिक्रमा और आंदोलन बहुत से देशों, बहुत-सी जातियों में युगों तक होता रहा है।

अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी